वर्ष १, अंक १| 1(1) : 2022
बनारस में छह-सात बरस पहले ही काष्ठ कला उद्योग खत्म हो जाता, लेकिन कुछ कारीगर ऐसे हैं, जो संघर्ष कर इस कला और व्यवसाय को जीवित रखे हैं।
Article by Sudhir Kumar (Research Scholar, History)
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Kashtha Kala - Sudheer Kumar
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बनारस के जिन इलाकों में आज भी काष्ठ कला उद्योग जीवित है, उनमें कश्मीरीगंज भी है। गुरुधाम चौराहे से महज कुछ मिनटों की दूरी पर स्थित है कश्मीरीगंज। यहां कुछ वर्ष पूर्व तक एक बड़ी आबादी लकड़ी से संबंधित तरह-तरह की वस्तुएं बनाने के कार्य में संलग्न थीं। लेकिन अब गिने-चुने परिवार ही ऐसे हैं, जो इस तरह का काम कर रहे हैं। इस मुहल्ले में प्रवेश के साथ ही मशीनों का कलरव आपका ध्यान खींचने लगता है। उस आवाज में व्यवसाय के लुप्त होने की पीड़ा तो है ही; एक उम्मीद भी है, जिसके सहारे तमाम तरह की उपेक्षाओं के बावजूद यह व्यवसाय आज भी कुछ घरों में जीवित है। यहां अधिकतर घरों में लट्टू, सिंदूरदानी तथा लकड़ी के विभिन्न तरह के खिलौने बनाये जाते हैं।

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