Triveni Diaries S2:02 The First Class
Updated: Mar 11
Title -First class

रिज़ल्ट आने के बाद से एडमिशन होने तक का समय कैसे बीता पता ही नहीं चला।और कल पहली क्लास भी है।परंतु इसमें थोड़ा बदलाव है क्योंकि यह एक ऑनलाइन क्लास है। ऑनलाइन क्लासेज के कोई कितने भी फायदे गिना ले परंतु पहले दिन अपना इंट्रोडक्शन देने का प्रेशर अलग ही होता है। हम सब कभी न कभी इस प्रेशर को महसूस कर चुके हैं और आज शुभांगी भी इसी प्रेशर का अनुभव कर रही थी। अगले दिन सुबह वह बिना अलार्म के ही उठ गई अब उत्साह जो इतना था! सुबह होने से क्लास शुरू होने तक का समय इतनी जल्दी बीत गया पता ही नही चला ।ऐसा हम सबके साथ होता है जब हम किसी चीज़ के होने का इंतजार करते हैं तो ऐसा लगता है समय बीत नही रहा और जब हम कुछ होने से घबराते हैं तो उसे उसे होने में पल भर का समय नही लगता ।शुभांगी की भी बिल्कुल यही मनोस्थिति थी। क्लास शुरू होती हैक्लास शुरू होती है और सारे छात्र अपना परिचय देते हैं।कुछ बहुत कॉन्फिडेंट लगते हैं और कुछ थोड़े घबराए हुए।इसी क्रम में शुभंगी भी अपना परिचय देती हैं पूरे आत्मविश्वास के साथ।क्लास खत्म होने के बाद शाम को छत पर ठंडी हवा के बीच बैठ कर शुभांगी आज के क्लास के बारे में सोचती है की कितना विविधता है एक ही कक्षा में लगभग देश के हर कोने से छात्र यहां पढ़ रहे हैं।और सबमें कितना आत्मविश्वास है।और एक बात जो उसे सोचने पर मजबूर कर रही थीं वह यह थी की जब सारे छात्रों से उनके लक्ष्य के बारे में पूछा गया तो अधिकतर बच्चे अपने लक्ष्य को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे।परंतु शुभांगी ने ऐसा कुछ सोचा नहीं था।उसको यह एहसास होता है की जीवन में एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ना कितना आवश्यक है।अभी उसकी दुनिया उसके परिवार, स्कूल और कुछ दोस्तों तक ही सीमित थी परंतु अब उसे इस नए सफर में बहुत कुछ नया सीखने और अनुभव करने को मिल रहा है।यह सब सोचने के बाद वो नीचे आती है और आराम से खाना खा कर सो जाती है।
ऐसे ही हर दिन बीतता है और क्लासेज अपने अपने पूर्ण रुप में चलती है।परंतु हर बीतते दिन के साथ कॉलेज जाने की उत्सुकता और बढ़ती जाती है। अब कॉलेज के व्हाट्सएप ग्रुप में कॉलेजऑफलाइन कब खुलेगा यह डिस्कशन का कॉमन टॉपिक रहता है।शुभांगी अपनी कॉलेज में बनी नई दोस्त से कॉलेज जा कर हॉस्टल लाइफ को एक्सपीरियंस करने की अपनी उत्सुकता के बारे में बताती है।उसकी दोस्त बचपन से ही नवोदय में पढ़ी है तो उसकी स्कूल लाइफ हॉस्टल में ही बीती है और उसे अब हॉस्टल जाने की उतनी कोई उत्सुकता नही रहती है वो शुभांगी से बताती है की घर पर रहने में और हॉस्टल में रहने में कितना बड़ा अंतर है। शुरुआती दिनों में हॉस्टल में एडजेस्ट करना कितना मुश्किल होता है। परंतु इन सब बातों के बाद भी शुभांगी के मन में उतनी ही उत्सुकता रहती है हॉस्टल को लेकर ।और वो बेसब्री से इंतजार करती है ऑफलाइन कॉलेज खुलने का।
To be continued..